Monday, January 16, 2012

नहीं चाहिए सचिन का महाशतक ...

मुझे इसी बात का डर था, कि कहीं सचिन अपने  खराब प्रदर्शन से लोगों के निशाने पर ना जाएं और वही हुआ। देश भर में ना सिर्फ सचिन बल्कि राहुल द्रविण, बी बी एस लक्ष्मण और वीरेंद्र सहवाग को लेकर गुस्सा देखने को मिल रहा है। हालत ये हो गई है कि जो क्रिकेट प्रेमी कल तक सचिन को भारत रत्न देने की मांग कर रहे थे, वो इतने खफा  हैं कि अगर सचिन को भारत रत्न मिल गया होता तो वे भारत रत्न वापस लेने की मांग करते हुए सड़कों पर उतर जाते। अरे भाई देश में क्रिकेट सिर्फ एक खेल भर नहीं है। क्रिकेट प्रेमी इसे अपना धर्म मानते हैं और धर्म की रक्षा के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। मैने देखा कि कल तक सचिन को क्रिकेट का भगवान कहने वाली मीडिया पहली दफा सचिन पर उंगली उठाने की हिम्मत जुटा पाई।

आमतौर पर सचिन की खामियों को ढकने वाली मीडिया पहली दफा बैकफुट पर नजर आई, वो भी इसलिए तमाम दिग्गज खिलाड़ियों ने टीम के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी। वैसे महान क्रिकेटर सुनिल गावस्कर बहुत पहले ही कह चुके हैं कि खिलाड़ियों को अच्छे फार्म में रहने के दौरान सन्यास ले लेना चाहिए, जिससे लोग ये कहते फिरें कि अभी  क्यों सन्यास ले लिया,  अभी तो बहुत क्रिकेट बाकी है। ऐसा मौका नहीं देना चाहिए कि लोग पूछने लगें कि " अरे भइया सन्यास कब ले रहे हो " ? आज सचिन ही नहीं राहुल द्रविण और लक्ष्मण की यही हालत हो गई है कि लोग पूछने लगे हैं कि आखिर कब मैदान से बाहर होगे।

अब एक  बात तो पूरी तरह साफ हो गई है कि सचिन समेत तमाम खिलाड़ी 2015 में होने वाले वर्ल्ड कप में नहीं खेल पाएंगे, ऐसे में हम वर्ल्ड कप की टीम अभी से क्यों नहीं तैयार कर रहे हैं। आज क्रिकेटप्रेमी सवाल कर रहे हैं कि सचिन तेंदुलकर टीम में क्यों हैं? जवाब सिर्फ एक है कि उन्होंने देश के लिए बहुत खेला है, अब उन्हें महाशतक बना लेने देना चाहिए। मैं कहता हूं कि महाशतक की कीमत क्या है, हम कितने दिनों तक और कितने मैच गंवाने को तैयार बैठे हैं। क्या सचिन की नाक देश की नाक से ज्यादा अहमियत रखती है। मुझे लगता है कि इसका जवाब है नहीं। टीम के चयन की जिम्मेदारी जिनके पास है, उनका कद ही उतना बडा नहीं है कि वो सचिन के बारे में फैसला करें, लिहाजा ये फैसला अब सचिन को ही करना होगा। आस्ट्रेलिया से लौटकर उन्हें क्रिकेट के सभी फार्मेट को अलविदा कहकर मुंबई इंडियंस के लिए टी 20 तक ही खुद को समेट लेना चाहिए। 

सचिन की  आड़ लेकर और खिलाडी बच जाते हैं। अब राहुल द्रविण को मजबूत दीवार कहना बेईमानी है। इसी तरह जिस बी बी एस लक्ष्मण से कंगारू डरते थे, उस लक्ष्मण ने कंगारुओं के सामने घुटने टेक दिए हैं। अब लक्ष्मण से कंगारु नहीं बल्कि कंगारुओं से अपना लक्ष्मण डर रहा है। भाई ये ठीक  बात है कि वीरेंद्र सहवाग अच्छे खिलाड़ी हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वो भरोसेमंद खिलाड़ी बिल्कुल नहीं हैं। 10 पारियों में खराब प्रदर्शन कर अगर एक पारी में रन बना देते हैं तो मुझे नहीं लगता कि सहवाग को भी टीम में रहना चाहिए। बहुत नाक कट चुकी है, दुनिया भर के खिलाड़ी हमारी टीम पर छींटाकसी कर रहे हैं, सारी सचिन अब हमें आपके महाशतक में कोई रुचि नहीं रह गई है। 

2 comments:

  1. खेल से सन्‍यास.....?????
    मैं तो यह मानता हूं कि जिस दिन हमारे क्रिकेटर पार्टियों, विज्ञापनों में ध्‍यान देना बंद कर देंगे उनका खेल खुद ब खुद सुधर जाएगा......
    टीवी पर आने वाले हर दूसरे विज्ञापन में सचिन, धोनी, युवराज, सहवाग दिखाई देते हैं... खेल पर क्‍या खाक ध्‍यान देंगे ये।
    आईपीएल का थकाऊ शेड्यूल ये पूरा करते हैं पर देश के लिए खेलते वक्‍त ये फिटनेस का बहाना कर आराम करते हैं......
    .... वैसे आपकी बात में भी दम है.... अब इनको पूरा आराम दे देना चाहिए।

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  2. सचिन अब तो अगला विश्वकप खेल कर ही जायें शायद।

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